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40 साल बाद किसी भारतीय ने अंतरिक्ष में कदम रखा है। गुरुवार शाम भारतीय वायु सेना के पायलट शुभांशु शुक्ला के स्पेसक्रॉफ्ट ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर सफलतापूर्वक कदम रखा।
भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक नया इतिहास रच दिया है। 40 साल बाद किसी भारतीय ने अंतरिक्ष में कदम रखा है। गुरुवार शाम भारतीय वायु सेना के पायलट शुभांशु शुक्ला के स्पेसक्रॉफ्ट ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर सफलतापूर्वक कदम रखा। इस तरह शुभांशु आईएसएस में कदम रखने वाले पहले भारतीय बन गए है। इससे पहले 1984 में राकेश शर्मा सोवियत संघ के सल्युत-7 स्पेस स्टेशन पर आठ दिन रहे थे।
भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु के अलावा पोलैंड और हंगरी के अंतरिक्ष यात्रियों ने भी 40 वर्षों से भी अधिक समय बाद आईएसएस में प्रवेश किया है। यह यात्रा अमेरिका की प्राइवेट अंतरिक्ष कंपनी स्पेसएक्स द्वारा संचालित एक चार्टर्ड मिशन के तहत हुई है।
यह मिशन Axiom-4 का हिस्सा है, जो ह्यूस्टन स्थित Axiom Space द्वारा आयोजित किया गया है। इस अभियान में 14 दिनों तक ISS पर वैज्ञानिक प्रयोग किए जाएंगे।
ISS में गर्मजोशी से स्वागत
28 घंटे की उड़ान के बाद शुभांशु शुक्ला और उनकी टीम का आईएसएस में गर्मजोशी से स्वागत किया गया। ISS में उनका वेलकम इस समय रह रहे सात अंतरिक्ष यात्रियों ने किया। इनमें तीन NASA से हैं और एक जापान से और तीन रूसी अंतरिक्ष यात्री हैं।
राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में भारत का दूसरा बेटा
39 वर्षीय शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में पहुंचने वाले दूसरे भारतीय बन गए हैं। इससे पहले 1984 में राकेश शर्मा सोवियत संघ के सल्युत-7 स्पेस स्टेशन पर आठ दिन रहे थे।
शुभांशु ने अंतरिक्ष से भेजा संदेश
आईएसएस पहुंचने से पहले शुभांशु ने अंतरिक्ष से एक संदेश भेजा। उन्होंने माइक्रोग्रैविटी में खुद को ढालने को "एक शिशु की तरह फिर से जीना सीखने" जैसा बताया और अंतरिक्ष में तैरने के अनुभव को "अद्भुत" करार दिया।